🔵 शनि की वेदना और सरसों का तेल: क्यों चढ़ाते हैं तेल और क्यों नहीं सताते शनि भक्त हनुमान के?
शनि – एक ऐसा ग्रह जिसे हम डर और न्याय के प्रतीक के रूप में जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि देव भी कभी गंभीर पीड़ा और कैद का शिकार हुए थे? और यह कथा जुड़ी है रावण, हनुमान और शनि की वेदना से।
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📜 शनि की व्यथा: रावण की कैद और शनि का बलिदान
पौराणिक मान्यता के अनुसार, रावण चाहता था कि उसके पुत्र मेघनाद की कुंडली ऐसी हो कि वो अमर हो जाए। इसके लिए उसने सभी नवग्रहों को एक-एक कर आदेश दिया कि वे जन्म के समय उसके कहे स्थान पर स्थित हों।
परंतु शनि देव ने रावण की मंशा को अस्वीकार करते हुए कुंडली में बारहवें भाव में जाकर बैठने का निर्णय लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि मेघनाद अमर नहीं बन सका।
इससे क्रोधित रावण ने शनि देव को मोटी लोहे की जंजीरों से बांधकर बंदी बना लिया और उन्हें एक अंधेरी कालकोठरी में डाल दिया।
🦁 हनुमानजी की भक्ति और शनि की मुक्ति
जब हनुमानजी लंका पहुंचे, तो उन्होंने शनि महाराज को कैद में देखा। उनकी दशा देखकर हनुमानजी ने जंजीरें तोड़ी और शनि को मुक्त कर बहुत दूर फेंक दिया ताकि रावण की पकड़ में न आएं।
गिरने के बाद शनि देव घायल हो गए और उनके शरीर से रक्त बहनेसरसों के तेल से मालिश
🛢️ सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा कैसे शुरू हुई?
शनि देव के घायल शरीर पर जब सरसों के तेल की मालिशशनिवार के दिन
सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है – यह केवल शांति के लिए नहीं, बल्कि स्नेह और सेवा का प्रतीक🕉️ शनि का आशीर्वाद हनुमान भक्तों को क्यों?
शनि देव ने हनुमानजी का यह उपकारहनुमान का सच्चा भक्त
से बहुत कम कष्ट दूँगा या माफ कर दूंगा।🙏 इसलिए, शनिवार और मंगलवार को हनुमानजी और शनिदेव दोनों की आरती करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
👁️🗨️ शनि की 3 दृष्टियां क्या असर करती हैं?
- 🔹 तीसरी दृष्टि – दर्द देती है, शरीर या मन में पीड़ा
- 🔹 सातवीं दृष्टि – जो सामने है, उसमें बाधा डालती है (जैसे नौकरी, विवाह, व्यापार)
- 🔹 दसवीं दृष्टि – अत्यधिक प्रभावशाली, कष्टदायक परिणाम
📖 पौराणिक उदाहरण:
⚡ गणेश और शनि:
जब गणेशजी ने शनि की ओर देखा, तो शनि की दसवीं दृष्टि उन पर पड़ी। इससे उनके और वे एकदंत कहलाए।
👑 राजा हरिश्चंद्र:
- तीसरी दृष्टि से उनका राज्य चला गया
- सातवीं दृष्टि से उन पर लगा और वे श्मशान घाट में सेवक बने
- दसवीं दृष्टि ने उनके से मृत्यु दी
अंत में जब राजा ने दिया, तब शनि प्रकट हुए और उन्हें सब कुछ लौटा दिया।
📿 निष्कर्ष: शनि – न्याय का देवता, पर भक्तों पर दयालु
शनि देव कोई दुश्मन नहीं, वे कर्मों के न्यायाधीश हैं। वे देर से फल देते हैं, लेकिन
🛢️ इसलिए शनिवार को सरसों का तेल चढ़ाएं, हनुमानजी की पूजा करें और अपने कर्म सुधारें।
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